नए डिजाइनर्स के लिए प्रोजेक्ट की शुरुआत कैसे करें
नमस्ते मेरे प्यारे बिगिनर भाइयों! आज हम बात करेंगे एक ऐसी सबसे कॉमन प्रॉब्लम के बारे में जो हर नए डिजाइनर के साथ होती है। मैं भी अपने आप को एक बिगिनर पॉइंट ऑफ व्यू से ही देखता हूं ताकि आप लोग बेहतर तरीके से कनेक्ट कर पाएं।
देखो, जब हम कोई नया प्रोजेक्ट शुरू करते हैं और हमें कोई ब्रीफ या डॉक्यूमेंट मिलता है, तो सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि हम समझ नहीं पाते कि इसे शुरू कैसे करें। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि हम नए हैं और हमें प्रोजेक्ट शुरू करने का पर्याप्त अनुभव नहीं है।
जब आप किसी नई कंपनी में जाते हैं, तो सबसे पहला चैलेंज यही आता है कि कहीं मैं कोई गलती न कर दूं। यह डर हमारे अंदर बैठा हुआ होता है। नई कंपनी, नए लोग, और हिचकिचाहट—यह सब हमें नीचे खींचते हैं।
कॉन्फिडेंट रहें, ओवर-कॉन्फिडेंट नहीं
इसलिए सबसे पहला काम कॉन्फिडेंट रहें। ओवर-कॉन्फिडेंट नहीं। जब आप कॉन्फिडेंट होते हैं, तो चीज़ें अपने आप बेहतर होती जाती हैं। आमतौर पर, आपको एकदम से कोई प्रोजेक्ट नहीं मिलता। पहले एक-दो हफ्ते आपको कंपनी के माहौल में ढलने और कॉन्फिडेंस में आने का मौका दिया जाता है।
एक बात पर गौर करना: अगर आप किसी अनुभवी प्रोफेशनल से भी मीटिंग के बाद पूछेंगे कि वो आगे क्या करने वाला है, तो वो तुरंत जवाब नहीं देगा। वो भी कहता है कि “डॉक्यूमेंट भेज देना, मैं पढ़कर समझता हूं फिर बताता हूं।” यह कॉन्फिडेंस नए डिजाइनर्स में नहीं होता, क्योंकि उन्हें हमेशा डर लगा रहता है कि कहीं उनसे कोई छोटी-सी गलती न हो जाए। लेकिन, सच तो यह है कि वो गलती नहीं, सिर्फ एक डर है।
फूड ऐप का उदाहरण: यूजर को समझना क्यों जरूरी है?
आइए एक फूड ऐप का उदाहरण लेते हैं। एक फूड ऐप एक बैचलर के लिए कैसे मददगार है? एक बैचलर अक्सर खाना बनाने में आलसी होता है या उसे हर रोज टेस्टी खाना खाना पसंद होता है। तो, फूड ऐप इस प्रॉब्लम को सॉल्व करता है।
जिसने भी इस ऐप को डिजाइन किया होगा, उसने समाज में यही प्रॉब्लम देखी होगी। क्लाइंट भी इसी तरह की समस्या को हल करने के लिए आपके पास प्रोडक्ट लेकर आया है। इसीलिए मैं कह रहा हूं कि अपने प्रोजेक्ट में हमेशा टारगेट ऑडियंस को सेंटर में रखें। उसके इर्द-गिर्द सोचना शुरू करें कि यह प्रोडक्ट उसकी कौन सी प्रॉब्लम सॉल्व कर रहा है।
फूड ऐप ने फूड ऐप ने क्या सोचा? कि अगले बंदे को घर बैठे-बैठे खाना चाहिए। तो उसने इसका निवारण क्या किया? उसने किसी रेस्टोरेंट से खाना उठाकर उस बंदे के घर तक पहुंचा दिया।
अब एक UX डिजाइनर को यूजर के नजरिए से सोचना होगा कि इस ऐप को और बेहतर और भरोसेमंद कैसे बनाया जाए ताकि यूजर इसे ही अपना प्राइमरी ऐप बना ले।
- यूजर का सबसे बड़ा प्रॉब्लम क्या है? उसे जल्दी खाना चाहिए। तो ऐप ने क्विक डिलीवरी का फीचर जोड़ा।
- उसे अच्छा खाना चाहिए। तो ऐप ने टॉप-रेटिंग वाले रेस्टोरेंट्स दिखाए।
- उसे हर तरह का खाना पसंद है। तो ऐप ने अलग-अलग मेन्यू और कैटेगरीज दीं।
- यूजर की पसंद को कैसे समझें? जैसे-जैसे वो ऑर्डर करता जाएगा, ऐप उसे समझ जाएगा कि उसे किस तरह का पिज़्ज़ा या खाना पसंद है।
इसीलिए एक UX डिजाइनर के पास एक खास फायदा होता है। वो दोनों की तरफ हो लेता है—वो क्लाइंट की भी सुनता है और यूजर की भी। वह दोनों की जरूरतों को समझकर एक ऐसा सॉल्यूशन बनाता है जो दोनों के लिए फायदेमंद हो।
अपने टारगेट ऑडियंस को समझें
जब कोई प्रोजेक्ट रिक्वायरमेंट आती है, तो सबसे पहले यह समझें कि उस प्रोडक्ट का टारगेट ऑडियंस कौन है। क्या यह प्रोडक्ट बूढ़ों, जवानों, बच्चों, या महिलाओं के लिए है? जब तक आप यूजर यानी टारगेट यूजर को नहीं समझेंगे, तब तक आप हमेशा कन्फ्यूजन में रहेंगे।
लेकिन जैसे ही आप अपने एक्चुअल टारगेट ऑडियंस को समझने लगेंगे, आपकी 30-40% मुश्किलें वहीं खत्म हो जाएंगी। यह तब होगा जब आप उस यूजर के पॉइंट ऑफ व्यू से सोचना शुरू करेंगे। उस प्रोडक्ट के बारे में सोचें और देखें कि वो प्रोडक्ट यूजर की कौन सी प्रॉब्लम सॉल्व कर रहा है। उस यूजर की जगह पर खुद को रखकर सोचें कि क्या यह प्रोडक्ट वाकई में मेरी इस प्रॉब्लम का प्रभावी समाधान दे रहा है?
जनरेटिव AI का इस्तेमाल करें, लेकिन स्मार्ट तरीके से
आज के समय में Chat GPT या Gemini जैसे जनरेटिव AI टूल्स एक परफेक्ट सॉल्यूशन की तरह हैं। अगर आपको किसी टॉपिक पर आर्टिकल लिखना है, तो आप घंटों रिसर्च करेंगे, कई पेजेज पढ़ेंगे और फिर एक फाइनल ड्राफ्ट बनाएंगे। लेकिन, यही काम आप AI से प्रॉम्प्ट देकर बहुत जल्दी और आसानी से कर सकते हैं।
तो इसी तरह, आप भी अपने प्रोजेक्ट में पहले यूजर को पहचानें। क्लाइंट और प्रोजेक्ट मैनेजर से पूछें कि उन्हें यूजर के बारे में क्या पता है। यूजर को जानने के बाद, यह देखें कि आपका प्रोडक्ट उनकी कौन सी समस्या हल कर रहा है।
जितने भी नए डिजाइनर हैं, वो अक्सर इन बेसिक चीज़ों को छोड़ देते हैं। वे सीधे टेम्प्लेट खोजना शुरू कर देते हैं। अगर आप ऐसा कर भी रहे हैं, तो भी पहले उन बेसिक स्टेप्स को फॉलो करें जो मैंने बताए हैं।
- अपने यूजर को समझें।
- उनकी समस्याओं को समझें।
- और सबसे ज़रूरी, यह समझें कि वे समस्याएं क्यों पैदा हो रही हैं।
जब आप ये सब कर लेते हैं, तो आपने जो भी समझा उसे दो-तीन सरल लाइनों में लिख लें। फिर Chat GPT या Gemini जैसे AI टूल में जाएं और अपने आइडिया को एक प्रॉम्प्ट की तरह दें। आप AI से पूछ सकते हैं कि…
मैं इस तरह के एप्लिकेशन पर काम कर रहा हूं, मेरी टारगेट ऑडियंस यह है, और यह प्रॉब्लम स्टेटमेंट है। मैं इस एप्लिकेशन में ये फीचर्स देना चाहता हूं। आप मुझे बताएं कि मैं किस तरह के कलर का उपयोग करूं, क्या अप्रोच रखूं या किस तरह की इमेज लाइब्रेरी का इस्तेमाल करूं।
जब आप एक स्पष्ट जानकारी के साथ AI से पूछते हैं, तो आपको एक परफेक्ट विज़न मिलता है। इसके विपरीत, अगर आप बिना समझे सीधे AI से पूछते हैं, तो वह आपको इतने सारे सुझाव देगा कि आप और भी ज्यादा कंफ्यूज हो जाएंगे और अंतहीन बदलाव (iterations) करते रहेंगे।
प्रोसेस को फॉलो करें, स्किप न करें
एक UX डिजाइनर के पास यही फायदा होता है कि वो क्लाइंट और यूजर दोनों के पक्ष में सोच पाता है। वह दोनों की जरूरतों को समझकर एक ऐसा सॉल्यूशन बनाता है जो दोनों के लिए फायदेमंद हो।
लेकिन नए डिजाइनर अक्सर इन्हीं बेसिक चीज़ों को छोड़ देते हैं। वे सीधे टेम्प्लेट खोजना शुरू कर देते हैं। अगर आप ऐसा कर भी रहे हैं, तो भी पहले उन बेसिक स्टेप्स को फॉलो करें जो मैंने बताए हैं।
- अपने यूजर को समझें।
- उनकी समस्याओं को समझें।
- और सबसे ज़रूरी, यह समझें कि वे समस्याएं क्यों पैदा हो रही हैं।
जब आपको यह सब समझ आ जाएगा, तो आपको एक स्पष्ट विज़न मिलेगा। तब आप Chat GPT से सही सवाल पूछ पाएंगे। अगर आप बिना समझे सीधे AI से पूछते हैं, तो वह आपको इतने सारे सुझाव देगा कि आप और भी ज्यादा कंफ्यूज हो जाएंगे।
अंत में, यह याद रखें
स्मार्ट वर्क करो, हार्ड वर्क भी करो, लेकिन लिबोरियस वर्क मत करो।
प्रोसेस को फॉलो करना सीखें। चीजों को फटाफट करने के चक्कर में हम अक्सर बेसिक चीजों को नजरअंदाज कर देते हैं। इससे प्रोजेक्ट की दिशा बदल जाती है और जब तक हमें यह एहसास होता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
इसलिए, प्रोसेस को फॉलो करें। आपको रिजल्ट जरूर मिलेगा और आपका कॉन्फिडेंस भी बढ़ेगा।
यहीं से आपकी वैल्यू बढ़ना शुरू होती है, जब लोग देखते हैं कि आप सोच-समझकर और सुलझकर काम करते हैं।